आजकल हीटवेव के बारे में काफी चर्चा हो रही है और उनसे कई लॉग मर भी रहे है मगर उसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है । दरअसल हीटवेव के बारे में पुख्ता जानकारी का ना होना खतरनाक साबित हो सकता है । बहुत से ऐसे लोग है जो इन्हें गंभीरता से नहीं लेते है और इन्ही कारण हीटवेव के शिकार हो जाते है । आज हम आपको हीटवेव के बारे में कुछ ऐसी जानकारी दे रहे है जिन्हे पढ़कर आप चौक जायेंगे ।
हीटवेव किसे कहा जाता है ?
हीटवेव एक असामान्य रूप से गर्म मौसम की अवधि होती है जो कि दो या अधिक दिनों तक चलती है। इसे तब माना जाता है जब तापमान ऐतिहासिक औसत से ऊपर होता है। दुनियाभर में इसके मानक एक समान नहीं है यानी की कुछ देश में 36 डिग्री सेल्सियस को हीटवेव माना जा सकता है तो कुछ देश में नहीं ।
हमारे देश में हीटवेव कब घोषित किया जाता है ?
भारत में, जब मैदानी क्षेत्रों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाता है, तब हीटवेव घोषित की जाती है। यदि तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो, तो इसे हीटवेव माना जाता है मगर जब यदि यह तापमान 6.4 डिग्री से अधिक हो जाता है तब उसे 'गंभीर' हीटवेव कहा जाता घोषित किया जाता है , ये एक प्रकार की आपदा ही माना जाता है ।
हीटवेव के कारण स्वास्थ्य पर कैसा असर होता है ?
हीटवेव के दौरान, उच्च तापमान के कारण स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है ।हीटवेव के दौरान अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर का तापमान बिगड़ सकता है और जब शरीर का तापमान बहुत अधिक हो जाता है, तो शरीर उसे नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है। सामान्य तौर पर गर्मी के कारण पसीना निकलता है जिनसे शरीर ठंडा रहता है । ये एक कुदरती प्रणाली है मगर हाटवेव में पसीना निकालने की प्रणाली विफल हो सकती है, जिससे शरीर खुद को ठंडा करने में असमर्थ होता है। इससे शरीर में निर्जलीकरण और ब्लड प्रेशर में गिरावट हो सकती है और इन्ही के कारण जो चक्कर आना, सिरदर्द, और बेहोशी जैसे लक्षणों दिख सकते है । गंभीर मामलों में, हीटवेव हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकता है ।
ऊपर दर्शाई हुई हीटवेव की गंभीरता को देखकर इसके बारे में आम लोगो को जागृत करवा बेहद जरूरी है । इसे अपने चाहनेवालो और दोस्तो में जरूर शेयर करे । हीटवेव से बचने के लिए क्या क्या उपाय है उसके बारे में अगले लेख में उपयोगी जानकारी लेकर हाज़िर होंगे । तबतक अपना और अपनों का ख्याल रखे।
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